ग़ज़ल

हिज्र के उस पार जाना था मुझे 

सिर्फ यादों का सहारा था मुझे 
कौन है… किसने ऐसे आवाज़ दी   

 जैसे वो अावाज़ देता था मुझे

 
हाँ सही समझें हो तुम बिल्कुल सही 

मै ही था धोख़ा जो देता था मुझे 
यार…वो भी मर गया क्या आख़िरश

जिस्म इक जो जीया करता था मुझे 

                       – नेमत

Beginning At Amazon

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          Dear Gargi , Many Congratulations. I strongly believe that this book will get a great response. 

All the Very Best for 15th June. 

गज़ल 

आपकी मुहब्बत हर दफा हमें यहां पर खींच लाती है। इस मुहब्बत के लिए शुक्रियह….आगे से Regular रहने की कोशिश होगी 

फिलहाल एक गज़ल देखे….. 

गज़ल 

दोस्तों एक गजल आप सभी के सामने… अपना प्यार बनाये रखिये…… 
हौंसला  बिखरता जा रहा है 

खौफ दिल मे बढता जा रहा है। 

खामुशी से इस आवाज को सुन

एक दिल सिसकता जा रहा है। 

सिर्फ नींव ही बाकी बचेगी

घर तो कब से गिरता जा रहा है। 

गांव रोज कम होने लगा है 

शहर और बढता जा रहा है। 

सौ चरागो से भी कुछ न होगा

आफताब वो देखो आ रहा है। 

आइना किसी दिन देखियो, तू

देवदास बनता जा रहा है। 

वापसी 

दोस्तों बहुत दिनो से दूर रहा हूं… उम्मीद है आपने मुझे भुलाया नही होगा… अपनी मुहब्बत अपनी दुआएं बनाये रखिये क्योंकि मेरे लिए सांसो के साथ साथ आप सबकी दुआए भी जरूरी है जीने के लिए… 
एक मतला और एक शेर आप सबके हवाले 

तोहमतो मिरे हिस्से आओ, मुझको गुनहगार कर दो

बहुत संभला हुआ हूँ मै, मुझको  तार-तार  कर दो!!

जुर्रत की है मैने तुमसे बेइंतहा मुहब्बत करने की

तुम इसका सिला दो और मुझको दरकिनार कर दो!! 
#नेमत_मेरठी